हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों के परिणामों ने बिहार और उत्तर प्रदेश में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर खटपट को उजागर कर दिया है। प्रमुख नेताओं की हार और उनके बयानों ने गठबंधन के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी: हारा या हराया गया?
बिहार की काराकाट लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी हार पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा, “हारा हूं या हराया गया हूं ये सबको पता है। पवन सिंह फैक्टर बना या बनाया गया, ये भी सभी को मालूम है।” कुशवाहा की ये बातें स्पष्ट रूप से उनकी असंतुष्टि को दर्शाती हैं। काराकाट सीट पर सीपीआईएम के राजा राम सिंह ने विजय हासिल की, जिन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार पवन सिंह को 105,858 वोटों से हराया। राजा राम सिंह को 380,581 वोट मिले, जबकि पवन सिंह को 274,723 वोट मिले। कुशवाहा 253,876 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। पवन सिंह और कुशवाहा के बीच 20,847 वोटों का अंतर रहा।
उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी को झटका: संजय निषाद की प्रतिक्रिया
उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी को बड़े झटके का सामना करना पड़ा। पहले के दो चुनावों में लगभग क्लीन स्वीप करने वाली बीजेपी इस बार यूपी में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई। निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद की हार ने और भी विवाद पैदा किया। संजय निषाद ने सीधे तौर पर बीजेपी को हार के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, “बीजेपी की वजह से मेरा बेटा चुनाव हार गया।”
यूपी में इस बार समाजवादी पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया और 37 सीटों पर विजय प्राप्त की। बीजेपी को मात्र 33 सीटें मिली। प्रवीण निषाद की संत कबीरनगर सीट से हार हुई, जहां सपा के लक्ष्मीकांत निषाद ने उन्हें 92,170 वोटों से हराया। लक्ष्मीकांत निषाद को 498,695 वोट मिले जबकि प्रवीण निषाद को 406,525 वोट प्राप्त हुए।
धर्मवीर प्रजापति का बयान: बीजेपी के खराब प्रदर्शन के कारण
उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बीजेपी के खराब प्रदर्शन पर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा, “संविधान और आरक्षण बीजेपी के लिए नुकसानदेह साबित हुआ। हम इन आरोपों का जवाब नहीं दे पाए। कुछ उम्मीदवार के खिलाफ नाराजगी थी, इसका आकलन नहीं हुआ।”
प्रजापति ने ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद के बेटों की हार को भी इसका कारण बताया। राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोषी से चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संतकबीरनगर से हार गए।
एनडीए के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह
उपेंद्र कुशवाहा और संजय निषाद के बयानों से स्पष्ट है कि एनडीए के भीतर असंतोष और तनाव बढ़ रहा है। कुशवाहा का यह सवाल कि वह हारे हैं या हराए गए हैं, और पवन सिंह फैक्टर को लेकर उनकी नाराजगी, यह दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर सामंजस्य की कमी है।
संजय निषाद की प्रतिक्रिया ने भी यह स्पष्ट किया कि गठबंधन सहयोगी दलों के बीच विश्वास की कमी है। उन्होंने सीधे तौर पर बीजेपी को अपने बेटे की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया, जिससे गठबंधन के भीतर दरारें और भी गहरी हो गई हैं।