नई दिल्ली: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला मंत्रिपरिषद शपथग्रहण समारोह आज होगा, जिसमें कई नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है। इनमें से एक महत्वपूर्ण नाम महाराष्ट्र की रावेर लोकसभा सीट से लगातार तीन बार भारी अंतर से जीत हासिल करने वाली सांसद रक्षा खड़से का है। रक्षा खड़से का नाम आज के मंत्रिपरिषद शपथग्रहण में शामिल होने के लिए तय हो गया है। उनकी राजनीतिक यात्रा, व्यक्तिगत संघर्ष और कड़े परिश्रम की कहानी प्रेरणादायक है।
एकनाथ खड़से की बहू, राजनीति में संघर्ष और उभरना
रक्षा खड़से, महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से की बहू हैं। उनका राजनीति में प्रवेश एक गहरे वैयक्तिक सदमे के बाद हुआ, जब उनके पति निखिल खड़से ने 2013 में आत्महत्या कर ली। निखिल की आत्महत्या का कारण 2011 के विधान परिषद चुनाव में हुई हार को माना गया, जहां उन्हें एनसीपी के मनीष जैन ने हराया था। यह घटना खड़से परिवार के लिए एक बड़ा झटका थी।
निजी मुश्किलों के बावजूद संघर्षरत रक्षा
1 मई 2013 का वह दिन रक्षा खड़से के जीवन में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया। अपने घर में खाना बना रही रक्षा ने अचानक गोली की आवाज सुनी। दौड़ती हुई वह रसोई से कमरे तक पहुंची, जहां उनके पति निखिल खड़से ने खुद को गोली मार ली थी। इस आपदा ने रक्षा को तोड़ने की बजाय, उन्हें और मजबूत बनाया। उन्होंने अपने परिवार के साथ खड़े होकर न केवल इस मुश्किल समय का सामना किया बल्कि राजनीति में कदम रखा और अपने पति की विरासत को आगे बढ़ाया।
राजनीतिक करियर की शुरुआत और सफलता
12 मई 1987 को जन्मी रक्षा खड़से ने 2014 के लोकसभा चुनाव में रावेर लोकसभा सीट से 318,608 मतों की भारी लीड से जीत दर्ज की। तब वह 26 साल की उम्र में सबसे युवा लोकसभा सांसद बनीं। हालांकि, उनका राजनैतिक सफर इस घटना से पहले ही शुरू हो चुका था। वे कोथली ग्रामपंचायत में सरपंच रह चुकी थीं और 2012 में अपने पति के निधन के बाद रिक्त हुई जिला परिषद की सीट पर भी चुनी गईं।
2014 में ऐतिहासिक जीत
2014 के चुनावों में रक्षा खड़से टिकट की दौड़ में नहीं थीं, लेकिन रावेर सीट से उनके पति के पराभव का कारण बने मनीष जैन को एनसीपी ने फिर से टिकट दिया। मनीष जैन के निजी ईश्वरलाल जैन ने एकनाथ खड़से को चुनौती देते हुए कहा था कि यह चुनाव अगर खड़से के खिलाफ होता तो मजा आता। इसके बाद रक्षा खड़से ने चुनाव लड़ने का फैसला किया और मनीष जैन को तीन लाख से भी ज्यादा मतों से हराकर इतिहास रच दिया।
2019 और 2024 में भी जारी रहा विजय अभियान
2019 के लोकसभा चुनाव में रक्षा खड़से ने 60 प्रतिशत वोट के साथ रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की। 2024 में भी उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा और रावेर लोकसभा सीट से भारी अंतर से जीत हासिल की।
परिवार की राजनीति और व्यक्तिगत निर्णय
एकनाथ खड़से पर दाऊद इब्राहिम से संबंध और जमीन घोटाले का आरोप लगने के बाद उन्हें धीरे-धीरे बीजेपी और सत्ता से दूर कर दिया गया। आखिरकार 2020 में एकनाथ खड़से ने बीजेपी को छोड़कर एनसीपी में शामिल होने का निर्णय लिया। इस घटना के बाद सबकी नजरें उनकी बहू रक्षा खड़से पर थीं। क्या वह भी बीजेपी छोड़ देंगी? इस सवाल का जवाब देते हुए रक्षा खड़से ने स्पष्ट किया कि वह बीजेपी के साथ बनी रहेंगी, क्योंकि उन्हें पार्टी में कोई दिक्कत नहीं है।
नई भूमिका में रक्षा खड़से
आज मंत्री पद के लिए कॉल आने के बाद रक्षा खड़से तुरंत दिल्ली पहुंचीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उनसे मिलने के बाद एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा, “प्रधानमंत्री ने हमें शुभकामनाएं दीं। उनके आशीर्वाद से हमें आगे सरकार में काम करना है। नरेंद्र मोदी ने देश के लिए जो काम किया है वह ऐतिहासिक है। देश को आगे ले जाने में नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही है। जनता ने हमें 5 साल और मौका दिया है। मुझे लगता है कि अगले 5 साल में और अच्छे से काम होगा। हमें देश की जनता की सेवा करनी है।”