Pune Accident News: पुणे के कल्याणीनगर इलाके में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक धनाढ्य व्यक्ति के नाबालिग बेटे ने अपनी पोर्शे कार से दो लोगों को कुचल दिया था। इस घटना ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। दुर्घटना के बाद, आरोपी नाबालिग को बचाने के लिए कई गड़बड़ियाँ की गईं, जिसमें ससून अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल थे।
दुर्घटना की पूरी कहानी
यह घटना तब शुरू हुई जब नाबालिग ने अपनी तेज रफ्तार पोर्शे कार से दो लोगों को टक्कर मार दी। यह घटना पुणे के येरवडा इलाके में हुई। येरवडा पुलिस थाने के कुछ कर्मचारियों ने आरोपी नाबालिग को बचाने के लिए कई प्रयास किए। सबसे पहले, उसे तुरंत रक्त परीक्षण के लिए अस्पताल नहीं ले जाया गया। पूरे नौ घंटे बाद उसे ससून अस्पताल ले जाया गया, जिससे यह संदेह पैदा हुआ कि इस देरी का उद्देश्य सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना था।
ससून अस्पताल में क्या हुआ?
जब आरोपी नाबालिग को ससून अस्पताल लाया गया, तो उसके रिश्तेदारों ने डॉक्टरों को रिश्वत देने की कोशिश की। डॉक्टर अजय तावरे और डॉक्टर श्रीहरी हरलोर, जो ससून अस्पताल में वरिष्ठ पदों पर हैं, ने पैसे के लालच में आकर आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने का निर्णय लिया। डॉक्टर तावरे फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग के प्रमुख हैं और डॉक्टर हरलोर दुर्घटना विभाग में चीफ मेडिकल ऑफिसर हैं।
कैसे हुई ब्लड सैंपल की अदला-बदली?
डॉक्टर हरलोर के विभाग ने नाबालिग के रक्त के नमूने लिए, लेकिन जब यह पता चला कि इनमें शराब का अंश पाया जा सकता है, तो डॉक्टर तावरे ने अपने छुट्टी के बावजूद हस्तक्षेप किया। उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों को धनिक पुत्र के रक्त के नमूने बदलने का आदेश दिया। इसके बाद, किसी अन्य मरीज के रक्त के नमूने को जांच के लिए भेजा गया। लेकिन पुणे पुलिस ने नाबालिग के रक्त के नमूनों को एक अन्य लैब में डीएनए टेस्ट के लिए भेजने का निर्णय लिया, जिससे सच्चाई सामने आ गई।
पुलिस की कार्रवाई
पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने दोनों डॉक्टरों को गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर तावरे और डॉक्टर हरलोर की पूछताछ से यह पूरा गड़बड़झाला सामने आया। अब इन दोनों को सोमवार दोपहर शिवाजीनगर न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस घटना ने पूरे चिकित्सा जगत को शर्मसार कर दिया है और ससून अस्पताल की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सामाजिक और कानूनी पहलू
इस घटना ने समाज में एक बड़ी बहस छेड़ दी है कि कैसे पैसे और पावर का दुरुपयोग कर कानून को मोड़ा जा सकता है। यह घटना यह भी बताती है कि कैसे चिकित्सा पेशे में भी भ्रष्टाचार व्याप्त है। पुलिस की तेज कार्रवाई और ब्लड सैंपल की डीएनए जांच से यह साबित हो गया है कि न्याय अभी भी संभव है, लेकिन इस घटना ने व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है।
पुणे की इस घटना ने समाज को झकझोर कर रख दिया है। ससून अस्पताल में हुई ब्लड सैंपल की अदला-बदली ने दिखाया है कि कैसे धनिक अपने बच्चों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे कानून और चिकित्सा प्रणाली में कितनी सुधार की आवश्यकता है।