Opposition alliance in Maharashtra : अंग्रेजी समाचार वेबसाइट “द वायर” की एक रिपोर्ट के अनुसार सोमवार 22 अप्रैल को दलित अंबेडकरवादी बौद्ध संघटनों का एक बडे गट ने विपक्षी गठबंधन को समर्थन देने की घोषणा की है। इन संगठनों द्वारा कहा गया है, कि यह चुनाव संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है। इस संगठन ने अगले चार चरण में होने वाले चुनाव में कांग्रेस ,एनसीपी ,शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की महा विकास आघाडी को खुला समर्थन देने की घोषणा की है।
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इन दलित संगठनों की इस घोषणा से प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाडी को भारी झटका लग सकता है। इस चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी ने 36 उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा है। प्रकाश आंबेडकर ने महाविकास आघाडी के साथ न जाने का फैसला लेते हुए स्वतंत्र रूप से लड़ने का फैसला लिया है। ऐसे में दलित संगठनों द्वारा लिया गया यह फैसला प्रकाश आंबेडकर की पार्टी को खतरे में डाल सकता है।
इन दलित संगठनों द्वारा यह भी घोषणा की गई है कि इस चुनाव में सत्ता में बैठे ताकतो को हराने के बाद डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की मूल रिपब्लिक पार्टी के आदेशों के प्रति नवगठित पीआरपि नवीनीकृत करेगी।
VBA candidate Rahul Gaikwad released video announcing withdrawal of his candidature from Solapur Lok Sabha seat. He said his candidature can result victory of BJP so he does not want 2b responsible 4 it therefore decided to rescind his nominations to save Babasaheb’s constitution
— Sudhir Suryawanshi (@ss_suryawanshi) April 22, 2024
हाल ही में सोलापुर में घटी घटना से वंचित के कार्यकर्ताओं में असंतोष दिख रहा है। 22 अप्रैल को वंचित के उम्मीदवार राहुल गायकवाड ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि वह सोलापुर से अपना नामांकन वापस ले रहे हैं। उन्होंने आगे यह भी कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया है कि वो नहीं चाहते कि उनकी उम्मीदवारी की वजह से भाजपा की जीत हो। उन्होंने यह फैसला संविधान को बचाने के लिए लिया है ऐसा उनका कहना है।
दलित संगठन के दिग्गज पेंथर रिपब्लिकन नेता दादासाहेब गायकवाड ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह फैसला दलित बौद्ध वोट को विभाजित होने से रोकने के लिए लिया गया है।
इस दलित संगठन का यह कहना है की इस चुनाव में भाजपा एक बड़ी पार्टी है। भाजपा को हराना किसी एक दल के प्रयास से नहीं हो सकता। अगर संविधान को बचाना है तो सभी दलोंको मिलकर बीजेपी के खिलाफ अपनी मुहिम चलानी होगी।
इन दलित संगठनों ने विरोधी गठबंधन को अपना खुला समर्थन तो दे दिया है, लेकिन क्या इन विरोधी गठबंधन में कितने दलित उम्मीदवारों को इस चुनाव में मौका दिया है। दलितों के वोट से विपक्षी नेता जीत जाएंगे लेकिन उनमें कितने नेता दलितों की आवाज को संसद में उठाएंगे डॉ बाबासाहेब के विचारों पर बनी रिपब्लिकन पार्टी के टुकड़े करके इसे बिखरने वाले कौन लोग हैं।
आशा है इन बिखरे हुए टुकड़ों को एक बार फिर समेटकर बाबासाहेब नाम की एक मजबूत दीवार हम संसद में बना सके।