नासिक लोकसभा चुनाव 2024 : पांचवें चरण का मतदान महाराष्ट्र में जारी है और इस बीच नासिक लोकसभा क्षेत्र में एक नया विवाद खड़ा हो गया है। निर्दलीय उम्मीदवार शांतिगिरी महाराज के खिलाफ मतदान केंद्र पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया गया है।
शांतिगिरी महाराज का विवाद
नासिक लोकसभा क्षेत्र में एक नया विवाद सामने आया है। बताया जा रहा है कि शांतिगिरी महाराज ने मतदान केंद्र पर ईवीएम मशीन पर माला चढ़ाने की कोशिश की, जिससे हंगामा खड़ा हो गया। इससे पहले एनसीपी के अजित पवार गुट की नेता और महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली चाकणकर पर भी ईवीएम बूथ की पूजा करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
शांतिगिरी महाराज की माफ़ी और सफाई
शांतिगिरी महाराज ने सफाई देते हुए कहा, “हमने ईवीएम मशीन पर नहीं, बल्कि मशीन के बाहर लगी भारत माता की तस्वीर पर माला चढ़ाई थी। हमें इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमारा कृत्य चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ है। हमारा इरादा नियम तोड़ने का नहीं था।”
महाराज ने अपने बचाव में आगे कहा, “चुनाव के दौरान पैसा और शराब बांटने वालों पर कोई केस दर्ज नहीं होता, लेकिन हमारे खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह हमारे खिलाफ साजिश है।”
एनसीपी के छगन भुजबल की दिलचस्पी और पीछे हटना
शुरुआत में एनसीपी के अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल नासिक लोकसभा सीट में दिलचस्पी दिखा रहे थे। हालांकि, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर असमंजस के चलते यह निर्णय नहीं हो पाया कि यह सीट किसे छोड़ी जाए। इस वजह से भुजबल को पीछे हटना पड़ा।
हेमंत गोडसे का शक्ति प्रदर्शन
इसके बाद, शिंदे गुट के मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वर्षा आवास पर शक्ति प्रदर्शन किया, जिससे उनके समर्थकों में उत्साह बढ़ा। इस प्रदर्शन के बाद, अंततः हेमंत गोडसे को नासिक लोकसभा सीट से टिकट मिल गया।
ठाकरे ग्रुप और राजाभाऊ वाजे
शिंदे गुट के उम्मीदवार हेमंत गोडसे के खिलाफ ठाकरे ग्रुप ने राजाभाऊ वाजे को मैदान में उतारा है। राजाभाऊ वाजे का टिकट मिलने से चुनावी मुकाबला और भी रोचक हो गया है, क्योंकि वे भी एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर रहे हैं।
शांतिगिरी महाराज की उम्मीदवारी
इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती तब सामने आई जब बेहद लोकप्रिय धार्मिक नेता शांतिगिरी महाराज ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी दर्ज कराई। शांतिगिरी महाराज की लोकप्रियता और जनसमर्थन ने इस मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। कहा जा रहा है कि अगर शांतिगिरी महाराज को बीजेपी कार्यकर्ताओं और हिंदू वोटरों का समर्थन मिला, तो हेमंत गोडसे के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
हेमंत गोडसे की चुनौतियाँ
हेमंत गोडसे के लिए यह चुनावी संघर्ष आसान नहीं है। एक तरफ उन्हें राजाभाऊ वाजे का सामना करना पड़ रहा है, जो ठाकरे ग्रुप के मजबूत उम्मीदवार हैं, वहीं दूसरी तरफ शांतिगिरी महाराज की लोकप्रियता और समर्थन उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। शांतिगिरी महाराज के मैदान में आने से हिंदू वोटों का बंटवारा होने की संभावना है, जिससे हेमंत गोडसे की स्थिति कमजोर हो सकती है।
चुनावी माहौल और चुनौतियाँ
नासिक लोकसभा क्षेत्र में इस बार का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय है। एनसीपी के अजित पवार गुट के छगन भुजबल ने शुरू में इस सीट में दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर असमंजस के चलते उन्होंने पीछे हटने का निर्णय लिया। इसके बाद शिंदे गुट के मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थन से टिकट हासिल किया। ठाकरे ग्रुप ने उनके खिलाफ राजाभाऊ वाजे को मैदान में उतारा है।
शांतिगिरी महाराज की लोकप्रियता ने इस चुनावी मुकाबले को और भी जटिल बना दिया है। यदि उन्हें बीजेपी कार्यकर्ताओं और हिंदू वोटरों का समर्थन मिला, तो हेमंत गोडसे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
नासिक लोकसभा क्षेत्र में शांतिगिरी महाराज के खिलाफ मामला दर्ज होने से चुनावी माहौल गर्म हो गया है। महाराज ने अपने कृत्य के लिए माफ़ी मांगी है और इसे नियमों का अनजाने में उल्लंघन बताया है। अब देखना होगा कि इस विवाद का चुनावी परिणामों पर क्या असर पड़ता है और नासिक की जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।