भारतीय शतरंज के युवा सितारे आर प्रग्गनानंद ने नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में इतिहास रच दिया है। 18 साल के प्रग्गनानंद ने विश्व के नंबर-1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराकर क्लासिकल शतरंज में अपनी पहली जीत दर्ज की है। यह जीत न केवल प्रग्गनानंद के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, बल्कि भारतीय शतरंज के लिए भी एक गर्व का क्षण है।
प्रग्गनानंद की ऐतिहासिक जीत
स्टावेंजर में चल रहे नॉर्वे चेस टूर्नामेंट के तीसरे दौर में आर प्रग्गनानंद ने सफेद मोहरों से खेलते हुए मैग्नस कार्लसन के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। यह जीत विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि कार्लसन, जो विश्व शतरंज चैंपियन हैं, को हराना आसान नहीं है। प्रग्गनानंद क्लासिकल शतरंज में कार्लसन को हराने वाले केवल चौथे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।
टूर्नामेंट में प्रग्गनानंद का प्रदर्शन
नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में अब तक के तीन राउंड के बाद, प्रग्गनानंद 5.5 अंकों के साथ चार्ट में सबसे आगे हैं। उन्होंने 9 में से 5.5 अंक हासिल किए हैं, जिससे वे शीर्ष स्थान पर बने हुए हैं। उनके बाद अमेरिकी ग्रैंडमास्टर फैबियानो कारूआना हैं, जिन्होंने चीन के डिंग लिरेन पर जीत के बाद 5 अंक हासिल किए हैं। अन्य खिलाड़ियों में हिकारू नाकामुरा 4 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर, अलीरेजा फिरोजा 3.5 अंकों के साथ चौथे स्थान पर, मैग्नस कार्लसन 3 अंकों के साथ पांचवें स्थान पर, और डिंग लिरेन 2.5 अंकों के साथ छठे स्थान पर हैं।
प्रग्गनानंद का सफर
आर प्रग्गनानंद का जन्म 5 अगस्त 2005 को हुआ था। उन्होंने बहुत कम उम्र में ही शतरंज की दुनिया में अपनी पहचान बना ली थी। 2013 में उन्होंने वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप के अंडर-8 वर्ग का खिताब जीता और सात साल की उम्र में FIDE मास्टर बने। 2015 में उन्होंने अंडर-10 का टाइटल जीता। प्रग्गनानंद ने 2022 में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीता और तब से वे निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं।
मैग्नस कार्लसन के खिलाफ जीत का महत्व
मैग्नस कार्लसन के खिलाफ यह जीत प्रग्गनानंद के करियर में एक बड़ी उपलब्धि है। कार्लसन को हराना किसी भी शतरंज खिलाड़ी के लिए गर्व का विषय होता है क्योंकि वे लंबे समय से विश्व शतरंज के शीर्ष पर बने हुए हैं। यह जीत न केवल प्रग्गनानंद की प्रतिभा और मेहनत को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का स्तर अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार बढ़ रहा है।
भारतीय शतरंज के लिए गर्व का क्षण
आर प्रग्गनानंद की इस ऐतिहासिक जीत ने भारतीय शतरंज समुदाय में उत्साह का माहौल बना दिया है। भारतीय शतरंज महासंघ और शतरंज प्रेमियों ने इस जीत पर खुशी जताई है और प्रग्गनानंद को बधाई दी है। यह जीत भारतीय शतरंज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगी और युवा खिलाड़ियों को अपने खेल को सुधारने और उच्च स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित करेगी।
प्रग्गनानंद की यह जीत उनके भविष्य के लिए कई संभावनाएं खोलती है। वे नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में आगे भी शानदार प्रदर्शन करने के लिए उत्सुक हैं और उनकी निगाहें शीर्ष खिताब पर हैं। इस जीत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय शतरंज समुदाय में एक नई पहचान दिलाई है और वे भविष्य में और भी बड़े कारनामे करने के लिए तैयार हैं।