बेंगलुरु की एक अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा दायर मानहानि मामले में 7 जून को पेश होने का निर्देश दिया है। इस मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डी के शिवकुमार को जमानत मिल गई है। भाजपा महासचिव केशव प्रसाद द्वारा दायर इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर झूठे विज्ञापनों के माध्यम से बदनाम करने का आरोप लगाया गया है।
मामला क्या है?
2023 के विधानसभा चुनावों से पहले, कांग्रेस ने कर्नाटक की तत्कालीन भाजपा सरकार के खिलाफ ’40 प्रतिशत सरकार’ का अभियान चलाया था। इस अभियान में कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर सार्वजनिक कार्यों में 40 प्रतिशत कमीशन लेने और पोस्टिंग और भर्तियों में अत्यधिक रिश्वत लेने का आरोप लगाया। इसके तहत पार्टी ने ‘पेसीएम’ के पोस्टर भी लगाए थे, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को दर्शाया गया था। इन पोस्टरों में एक क्यूआर कोड भी शामिल था, जिसे स्कैन करने पर कांग्रेस द्वारा विकसित एक वेब पेज पर रीडायरेक्ट किया जाता था, जहां भाजपा शासन के तहत कर्नाटक में व्याप्त भ्रष्टाचार का विवरण था।
अदालत की कार्यवाही
शनिवार को हुई सुनवाई में सिद्धारमैया और डी के शिवकुमार विशेष अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। हालांकि, राहुल गांधी, जिन्हें अदालत में पेश होना था, नहीं आ सके। भाजपा के वकीलों ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि गांधी को सीआरपीसी 205 के तहत छूट नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह दूसरी बार पेश नहीं हुए हैं।
कांग्रेस के वकीलों ने तर्क दिया कि राहुल गांधी नई दिल्ली में इंडिया ब्लॉक की बैठक में भाग ले रहे थे और वह लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार हैं। उन्होंने अदालत से शनिवार की सुनवाई से छूट मांगी और वादा किया कि कांग्रेस नेता अगली तारीख पर मौजूद रहेंगे। अदालत ने गांधी को छूट दी और उन्हें 7 जून को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
सिद्धारमैया और शिवकुमार का बयान
अदालत के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि वह एक निजी शिकायत के संबंध में अदालत में पेश हुए थे। उन्होंने इस मामले को दीवानी बताया और कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया। सिद्धारमैया ने कहा कि केपीसीसी अध्यक्ष शिवकुमार और राहुल गांधी भी इस मामले में फंसे हुए हैं और तीनों नेताओं ने इस मामले से संबंधित अदालत में आगे की पेशी से बचने के लिए स्थायी निषेधाज्ञा का अनुरोध किया है।
शिवकुमार ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के विज्ञापन भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयानों पर आधारित थे, जिन्हें मीडिया में रिपोर्ट किया गया था। उन्होंने कहा कि पार्टी कानूनी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है और भाजपा नेताओं के सीएम पद और अन्य पदों के लिए भारी भुगतान के दावों को भी ध्यान में रखा।
राजनीतिक असर
इस मानहानि मामले ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। जहां भाजपा इस मामले को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है, वहीं कांग्रेस ने भी भाजपा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस का ’40 प्रतिशत सरकार’ अभियान और ‘पेसीएम’ पोस्टर विवाद ने चुनावी माहौल में गर्मी ला दी थी। कांग्रेस ने भाजपा पर कर्नाटक में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, जिसका भाजपा ने कड़ा विरोध किया। इस मामले ने चुनावी राजनीति में नैतिकता और भ्रष्टाचार के मुद्दों को फिर से चर्चा के केंद्र में ला दिया है।