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CAA : देशभर में लागू, लेकिन ये राज्य कानून के दायरे से बाहर

CAA नई दिल्ली: देशभर में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के लागू होने के साथ ही, राजनीतिक परिदृश्य में एक नई हलचल महसूस की जा रही है। इस कानून का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज़ वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। हालांकि, इस कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध भी देखने को मिल रहा है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारत में, जहाँ कई जनजातीय क्षेत्र CAA के दायरे से बाहर रखे गए हैं।

CAA

असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने CAA के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया है और 16 दलों के संयुक्त विपक्षी फ़ोरम ने एक राज्यव्यापी बंद की घोषणा की है। यह विरोध इस आधार पर है कि यह कानून क्षेत्रीय जनसांख्यिकी को प्रभावित कर सकता है, साथ ही इसे अन्यायपूर्ण और भेदभावपूर्ण भी माना जा रहा है।केंद्र सरकार ने हालांकि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले CAA 2019 की अधिसूचना जारी करते हुए, इसे पूरे देश में लागू कर दिया है। इसके साथ ही, इससे जुड़े नियम भी अधिसूचित किए गए हैं। केंद्र सरकार का तर्क है कि यह कानून उन लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए है, जो धार्मिक प्रताड़ना के कारण अपने मूल देशों से भागकर आए हैं।

पूर्वोत्तर राज्यों, विशेषकर असम और त्रिपुरा में, जनजातीय समुदायों और स्थानीय निवासियों की ओर से गहन विरोध के कारण, संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्रों को CAA के दायरे से बाहर रखा गया है। ये क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ स्थानीय जनजातीय समुदायों के अधिकारों की रक्षा की जाती है और बाहरी लोगों के बसने पर प्रतिबंध है।पश्चिम बंगाल और केरल की सरकारों ने भी CAA का कड़ा विरोध किया है। ममता बनर्जी और पिनराई विजयन, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने, केंद्र सरकार के इस कदम को भारत की सेकुलर विरासत के खिलाफ बताया है।

इस बीच, राजनीतिक पंडितों का मानना है कि CAA का विरोध और समर्थन दोनों ही आगामी लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विपक्षी दलों ने इसे एक मुख्य चुनावी मुद्दा बनाने की बात कही है, जबकि सत्तारूढ़ दल इसे धार्मिक प्रताड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाने के रूप मेंपेश कर रहा है।

केरल और पश्चिम बंगाल ने CAA को लागू करने से किया इनकार

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) को लागू करने की केंद्र सरकार की कोशिशों के बीच, पश्चिम बंगाल और केरल ने इस कानून को अपने राज्यों में लागू करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसे भारत के संविधान और सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ बताया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मानना है कि CAA ना केवल विभाजनकारी है बल्कि यह भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी कमजोर करता है। “अगर CAA के नियमों के ज़रिए लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया गया, तो हम इसके ख़िलाफ़ लड़ेंगे,” ममता ने अपने एक भाषण में कहा। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि CAA का मुद्दा चुनावी रणनीति से ज्यादा कुछ नहीं है।

केरल की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, “हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि हमारी सरकार CAA को केरल में लागू नहीं होने देगी।” उन्होंने इसे सांप्रदायिक और भेदभावपूर्ण कानून बताया और जोर दिया कि केरल के लोग इसके विरोध में एकजुट हैं। केरल ने 2019 में ही CAA के विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पास किया था, जिसमें इस कानून को रद्द करने की मांग की गई थी।दोनों राज्यों की स्थिति से स्पष्ट है कि CAA के खिलाफ राजनीतिक और सामाजिक विरोध गहराता जा रहा है। इसका प्रभाव न केवल स्थानीय राजनीति पर पड़ रहा है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। इन दोनों राज्यों के नेतृत्व ने अपने विरोध के माध्यम से एक संदेश दिया है कि भारत की विविधता और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखना उनके लिए सर्वोपरि है। इस विरोध के परिणामस्वरूप, CAA पर आगामी चर्चा और निर्णय निश्चित रूप से भारतीय राजनीति और समाज पर दूरगामी प्रभाव डालेंगे।

असम में CAA के विरोध में राज्यव्यापी बंद और प्रदर्शनों का आगाज

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के खिलाफ असम में विरोध की लहर तेज हो गई है। असम में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) सहित 16 विपक्षी दलों ने आज एक राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है। इस बंद के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर CAA की प्रतियां भी जलाईं और सरकार से इस कानून को वापस लेने की गुहार लगाई है।विपक्षी दलों के इस आह्वान पर असम पुलिस ने तत्काल प्रभाव से कानूनी नोटिस जारी करते हुए चेतावनी दी है। गुवाहाटी हाईकोर्ट के 2023 के आदेश का हवाला देते हुए, पुलिस ने बताया कि ‘बंद’ को अवैध और असंवैधानिक माना जाएगा, और इसके आयोजकों पर केस दर्ज किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने सरकार को यह भी अधिकार दिया है कि वह प्रदर्शनों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान की वसूली प्रदर्शनकारियों से कर सकती है।

इसी कड़ी में, असम के मुख्यमंत्री ने एक सख्त संदेश देते हुए कहा कि बंद बुलाने वाले राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार किसी भी तरह के अवैध प्रदर्शनों को बर्दाश्त नहीं करेगी और कानून का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेगी।इस बीच, AASU सहित विपक्षी दलों ने इस कानून को ‘असम की सांस्कृतिक पहचान और एकता के लिए खतरा’ बताते हुए इसके विरोध में अपनी मुहिम और तेज कर दी है। विपक्षी दलों का कहना है कि CAA के लागू होने से असम में अवैध प्रवासियों की एक बड़ी आमद होगी, जिससे राज्य की सामाजिक संरचना में बड़े परिवर्तन आएंगे।
इस पूरे मुद्दे पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नज़रें टिकी हुई हैं। असम में CAA के विरोध में उठ रही आवाज़ें न केवल राज्य की बल्कि पूरे देश की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संघर्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं। अब देखना यह होगा कि सरकार इस विरोध प्रदर्शन का जवाब कैसे देती है और इस संकट का समाधान किस प्रकार से निकाला जाता है।

शरणार्थियों को कैसे मिलेगी नागरिकता

भारतीय संविधान के अनुसार, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) के पारित होने के बाद बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों को अब नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग साफ हो गया है। इन शरणार्थियों को नागरिकता प्राप्त करने के लिए एक विशेष पोर्टल के माध्यम से आवेदन करने की सुविधा उपलब्ध की गई है। इसके बाद, उन्हें हिन्दुस्तानी नागरिकता प्रदान की जाएगी।इस उत्साहजनक खबर के साथ-साथ, दिल्ली में पुलिस ने भी अलर्ट जारी किया है। उन्होंने संवेदनशील क्षेत्रों में नियमित फ्लैग मार्च का आयोजन किया है और शाहीन बाग क्षेत्र की सुरक्षा को भी मजबूत किया गया है। इस कदम का उद्देश्य, पिछले वक्त में शाहीन बाग में हुए CAA के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शनों को ध्यान में रखते हुए, मामले की गंभीरता को ध्यान में रखना है।

इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के द्वारा, CAA ने भारतीय नागरिकता की मान्यता प्राप्त करने के लिए अधिकतम समर्थन और सुविधा प्रदान की है। यह उत्साहजनक खबर न केवल बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए बल्कि भारतीय समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसके साथ ही, सरकार ने शाहीन बाग क्षेत्र की सुरक्षा को भी पुनः बढ़ा दिया है, जिससे कि किसी भी प्रकार की असमंजस माहौल ना हो और स्थिति नियंत्रित रहे।

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