Bombay HC ने एक बलात्कार के मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को जमानत दे दी है। अदालत ने इस मामले में दिए गए तथ्यों के आधार पर यह निर्णय लिया है। अदालत ने कहा है कि जुहू चौपाटी पर ईद-अल-फितर के दिन भीड़भाड़ के बावजूद यह मुमकिन नहीं है कि कोई व्यक्ति पीड़िता से बलात्कार करे।
इस मामले में महिला पीड़िता महिलाबालिग थीं, जिसके कारण पॉक्सो एक्ट लगाने की संभावना कम होती है। अदालत ने इसे ध्यान में रखते हुए अपराधिक मामले को गंभीरता से देखा है।
Bombay HC कहा ‘कोई व्यक्ति नहीं करेगा विश्वास’
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने आरोपी को जमानत देते समय कहा कि कोई भी समझदार व्यक्ति इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि ईद-अल-फितर के दिन भीड़भाड़ वाली चौपाटी पर दिनदहाड़े आरोपी पीड़िता से दुष्कर्म करेगा। उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट अब तक कोई आरोप तय नहीं किया है और मामले को तार्किक अंत तक लाने की संभावना नहीं है। इसके बाद अदालत ने आरोपी को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ एक बिल्डिंग के चौकीदार द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जहां पीड़िता नौकरानी के रूप में काम करती थी। मामला यह था कि दोनों के बीच दोस्ती हो गई थी जो बाद में प्रेम संबंध में बदल गई। अभियोजन पक्ष ने अपनी याचिका पर आरोप लगाया कि चौकीदार हमेशा पीड़िता का पीछा कर रहा था और उसे मैसेज कर लगातार फोन कर रहा था।
पीड़िता ने आरोपी पर लगाए गंभीर आरोप
जुहू चौपाटी पर हुए एक घटनाक्रम में एक महिला ने अपने खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि वह एक आरोपी के साथ 14 मई, 2021 को घटनास्थल पर थीं और वहां उससे यौन संबंध बनाने की मांग की गई, जिसे उन्होंने इनकार किया। परंतु, आरोपी ने उन्हें धमकी दी और उन्हें जबरन समुद्र की ओर ले गया, जहां उसने उनके साथ बलात्कार किया। अधिवक्ता नाजनीन खत्री ने अदालत में पेश होकर यह बताया कि पीड़िता की आयु की पुष्टि के लिए एक्स-रे रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिसमें पाया गया कि उनकी उम्र 19 साल से अधिक है, लेकिन 20 साल से कम है।
Bombay HC कहा ‘पॉक्सो एक्ट लगाने का नहीं बनता सवाल’
पीठ ने रिपोर्ट के बाद कहा कि यदि यह मामला सत्य है, तो इसमें पॉक्सो एक्ट का प्रयोग करने का कोई सवाल नहीं उठता, क्योंकि कथित अपराध के समय पीड़िता बालिग थीं। यहां तक कि उन्होंने इस मामले को देखते हुए पॉक्सो एक्ट के तहत मामले को दर्ज किया गया था।इस बयान से स्पष्ट होता है कि पीड़िता की आयु के बारे में उपलब्ध जानकारी के बावजूद, कानूनी प्रक्रिया के दौरान गड़बड़ी हुई है। पॉक्सो एक्ट आमतौर पर बाल या किशोर लड़कियों की सुरक्षा के लिए होता है, लेकिन यदि पीड़िता बालिग हैं, तो उसके खिलाफ पॉक्सो एक्ट का उपयोग किया जाना संविदानिक रूप से गलत हो सकता है।