Supreme court ने ऐतहासिक फैसला सुनते हुए अप्रेल २०१९ में लागु किये चुनावी बांड को ख़त्म कर दिया था। एसबीआय को चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को देने के लिए कहा गया था। चुनाव आयोग वही जानकारी अपने वेबसाइट पर दिखाने वाला था।
इसी बिच एसबीआय ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया हे की चुनाव आयोग को जानकारी देने की समय सिमा बढाकर ३० जून तक बढ़ने के लिए विनती की है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने चुनावी बॉन्ड को लेकर फैसला सुनते हुए ६ मार्च तक चुनाव आयोग को जानकारी देने की समय सिमा तय की थी।
सोमवार को शीर्ष अदालत में, एसबीआई ने अपने आवेदन में कहा है कि चुनावी बांड को “डिकोड करना” और दानकर्ताओं द्वारा किए गए दान का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। इसका मुख्य कारण है कि इस प्रक्रिया में दानदाताओं की पहचान गुमनाम रखी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसले में इस मामले में एक और मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा है कि चुनावी बांड योजना बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करती है।
इसमें कहा गया है कि यह प्रक्रिया समय लेने वाली होगी क्योंकि इसमें “प्रत्येक साइलो” से जानकारी प्राप्त करना और एक साइलो की जानकारी को दूसरे से मिलाने की प्रक्रिया शामिल है। कोई केंद्रीय डेटाबेस नहीं रखा गया था। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि दानदाताओं की गुमनामी सुरक्षित रहेगी। यह प्रस्तुत किया गया है कि दाता का विवरण निर्दिष्ट शाखाओं में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था और ऐसे सभी सीलबंद लिफाफे आवेदक बैंक की मुख्य शाखा में जमा किए गए थे, जो मुंबई में स्थित है।