नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रचंड जीत दर्ज कर ली है। 60 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 46 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की है। यह जीत 2019 की तुलना में चार अधिक सीटों की है, जिससे भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई है। इसके विपरीत, कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब हो गई है। कांग्रेस को 41 सीटों पर अपने उम्मीदवार तक नहीं मिले, जिससे उसकी कमजोर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार
भाजपा की इस प्रचंड जीत के पीछे कई कारक हैं। सबसे प्रमुख कारण भाजपा की मजबूत रणनीति और संगठन शक्ति है। भाजपा ने पूरे राज्य में अपनी पकड़ मजबूत की है और लगातार विकास कार्यों पर ध्यान दिया है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नेतृत्व क्षमता और उनकी विकास नीतियों का भी बड़ा योगदान है।
दूसरी ओर, कांग्रेस की हार के कई कारण हैं। कांग्रेस के पास न तो मजबूत नेतृत्व था और न ही ठोस रणनीति। 2019 में कांग्रेस ने चार सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार वह केवल 19 सीटों पर ही चुनाव लड़ पाई। कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने उम्मीदवारों को नॉमिनेट करने के पार्टी के फैसले का उल्लंघन किया, जिसके कारण कई उम्मीदवार ऐन वक्त पर मैदान छोड़कर भाग गए या भाजपा में शामिल हो गए।
कांग्रेस को उम्मीदवारों की कमी
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश चुनाव के लिए 35 उम्मीदवारों की लिस्ट तैयार की थी, लेकिन उनमें से 10 ने नामांकन ही दाखिल नहीं किया। बाकी बचे उम्मीदवारों में से पांच ने अपना नाम वापस ले लिया। कानुबारी सीट से एक अन्य उम्मीदवार सोम्फा वांगसा ने नॉमिनेशन पेपर्स की स्क्रूटनी के बाद सीट सरेंडर कर दी और भाजपा में शामिल हो गए। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, भाजपा के साथ कथित मिलीभगत करने वालों को निशाना बनाकर पार्टी के कई सीनियर नेताओं को पहले ही बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है।
कांग्रेस को मिला धोखा
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि इन उम्मीदवारों ने पार्टी को यह भी नहीं बताया कि वे चुनाव नहीं लड़ने जा रहे हैं। वे आखिरी क्षण तक कांग्रेस के टिकट के लिए लड़ते रहे, लेकिन बाद में पीछे हट गए। पीसीसी प्रमुख और अरुणाचल के पूर्व सीएम नबाम तुकी ने चुनावी मैदान से इस आश्चर्यजनक पलायन के लिए धनबल को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पार्टी की अनुशासन समिति की सिफारिशों के अनुसार दलबदलुओं को निष्कासित किया जाता रहेगा। हम निस्संदेह निराश हैं, लेकिन हतोत्साहित नहीं हैं। हम हार के कारणों पर आत्मनिरीक्षण करेंगे और आने वाले दिनों में संगठन पर काम करेंगे।
अरुणाचल विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे
अरुणाचल प्रदेश में भाजपा को 46 सीटें मिली हैं। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस का सफाया कर दिया। कांग्रेस के खाते में केवल एक सीट आई और यह एनपीपी (5), राकांपा (3) तथा पीपीए (2) के बाद पांचवें स्थान पर खिसक गई। तीन सीट निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गईं। पूर्वोत्तर राज्य में पहली बार चुनाव लड़ने वाले कुल 20 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। उनमें से 11 भाजपा से, चार नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और दो-दो पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) तथा राकांपा से और एक निर्दलीय शामिल है।
अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2024 ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि भाजपा की लोकप्रियता और संगठन शक्ति कितनी मजबूत है। दूसरी ओर, कांग्रेस की कमजोर स्थिति और उम्मीदवारों की कमी ने उसे बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है। यह चुनाव परिणाम लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए एक चेतावनी के रूप में भी देखा जा सकता है। कांग्रेस को अब अपनी रणनीति और संगठन पर गहन आत्मनिरीक्षण करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में वह बेहतर प्रदर्शन कर सके।