RBI : भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ब्रिटेन के सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ इंग्लैंड से 100 टन से अधिक सोना देश में लाने का निर्णय लिया है। यह कदम न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के वित्तीय स्थिरता और आत्मविश्वास का भी प्रतीक है।
Image Source : iSTOCK
भारत की तिजोरी में बढ़ रहा सोना
1981 के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में सोने को भारतीय भंडार में शामिल किया गया है। मार्च के अंत में, RBI के पास कुल 822.1 टन सोना था, जिसमें से 413.8 टन सोना विदेशों में रखा हुआ था। अब इस सोने को धीरे-धीरे भारत लाया जा रहा है। वैश्विक आंकड़ों के मुताबिक, हाल के वर्षों में सोना खरीदने वाले केंद्रीय बैंकों में RBI प्रमुख है। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान, RBI ने अपने भंडार में 27.5 टन सोना शामिल किया है।
आरबीआई क्यों खरीद रहा है सोना?
विश्व भर के केंद्रीय बैंकों के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड एक प्रमुख भंडारगृह रहा है। भारत भी आजादी से पहले से लंदन के बैंक में अपना सोना रखता रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया, “आरबीआई ने कुछ साल पहले सोना खरीदना शुरू किया था। और यह समीक्षा करने का फैसला किया था कि वह कहां-कहां से भारत का सोना वापस ला सकता है। चूंकि विदेशों में स्टॉक बढ़ रहा था, इसलिए कुछ सोना भारत लाने का निर्णय लिया गया। साथ ही भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।”
भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते हालात
भारतीयों के लिए सोना सदियों से एक इमोशनल मुद्दा रहा है। यहां हर घर में सोना होता है और उसे बेचना सही नहीं माना जाता है। 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए चंद्रशेखर सरकार द्वारा कीमती धातु को गिरवी रखा गया था। उस समय, देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी और सोने को गिरवी रखकर विदेशी मुद्रा प्राप्त की गई थी। लेकिन आज परिस्थितियां बदल गई हैं।
आरबीआई ने लगभग 15 साल पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 200 टन सोना खरीदा था। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के बदलते हालात और आत्मविश्वास को दर्शाता है, जो 1991 की स्थिति से बिल्कुल अलग है। आज, भारत अपने सोने को वापस ला रहा है, जो कि आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक है।
Image Source : iSTOCK
गोल्ड रिजर्व के बढ़ने का प्रभाव
गोल्ड रिजर्व के बढ़ने से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है। सोने का भंडारण न केवल वित्तीय स्थिरता को बढ़ाता है, बल्कि यह आर्थिक संकट के समय एक सुरक्षित निवेश भी माना जाता है। सोना एक ऐसा संपत्ति है जो मुद्रास्फीति के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है और इसे वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
आरबीआई के इस कदम से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी और निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा, यह कदम भारतीय मुद्रा रुपया की स्थिरता को भी समर्थन देगा, क्योंकि विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से रुपया की विनिमय दर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
RBI के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में और भी सोना देश में लाया जाएगा। यह निर्णय भविष्य की वित्तीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। सोने के भंडार को बढ़ाकर, RBI वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता के समय में भी आर्थिक स्थिरता बनाए रखने की योजना बना रहा है।